Tuesday, January 26, 2010

ek aur koshish

क्यों न टपक ने दूँ इन् आसूँओको
क्यों मैं इन्नका एहतराम करूँ
यही तो है जो मुझे मेरे रब्ब के करीब ले जाते हैं...

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