Wednesday, February 03, 2010

kuch khayal

आज कुछ अजीब सा ख्याल आया है
ऐ खुदा तुने मुझे क्यों बनाया है


जहाँ तलक नज़रें फेरता हूँ मैं
सिर्फ दर्द और दुश्वारियां पाता हूँ मैं
कुछ नाज़ुक से चेहरों पर क्यों
पहाड़ों से ग़म के साए देखता हूँ मैं...


क्यों आज मस्जिदों में जाने से डरता हूँ मैं
क्यों तेरा दीवाना कहलाने से सेहेम्जाता हूँ मैं
झुकता तो हूँ आज भी दिल से सजदों में
फिर भी क्यों तुझे नमाज़ों में नहीं देख पाता हूँ मैं...


आज क्यों दिल में इश्क से ज्यादा नफरत है
जैसे मेरी रगों में खून में पनपती हुई आग है
आज क्यों हाथ उठाने से पहले नहीं सोच पाता हूँ में
कि मेरे सामने, ऐ खुदा, तेरी ही बनाई हुई एक पाक ज़ात है..


आज कुछ अजीब सा ख्याल आया हैं
ऐ खुदा, तुने मुझे क्यों बनाया है...